नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में पहाड़ी जिले स्वच्छ ईंधन इस्तेमाल करने के मामले में मैदानी जिलों से बहुत पीछे हैं।